मनसादेवी में 6 लोगों की मौत: हम जनसंख्या विस्फोट के उस मुकाम पर, जहाँ हर व्यवस्था विफल !
👉 कुल भगदड़ में मौतें 70 से ज़्यादा, सिर्फ 2025 में।
मंसा देवी का हादसा केवल एक मंदिर हादसा नहीं था। यह एक सामाजिक चेतावनी है — कि हम अपनी संख्या पर काबू पाने में विफल हो रहे हैं और इसके चलते हर व्यवस्था असफल होती जा रही है।
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हरिद्वार के मांसा देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच मची भगदड़ – 6 की मौत, दर्जनों घायल |
🧩 किसे दोष दें? प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट, पुलिस या बढ़ती जनसंख्या को?
जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो हम अक्सर सरकार, पुलिस या मंदिर प्रबंधन को जिम्मेदार मान लेते हैं। हाँ, अगर प्रशासन थोड़ा और सतर्क होता तो शायद यह घटना रोकी जा सकती थी।
लेकिन क्या सिर्फ प्रशासन ही जिम्मेदार है?
हर धार्मिक स्थल, अस्पताल, स्कूल और ट्रेन में हर जगह भीड़ ही भीड़ है।
किस हद तक कोई भी व्यवस्था इस जनसैलाब को संभाल पाएगी?
इसलिए अब हमें यह सोचना होगा कि क्या बढ़ती जनसंख्या भी इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है?
कितनी तेज़ी से बढ़ रही है जनसंख्या?
भारत की आबादी 2025 में 143 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।
हर साल लाखों नए लोग जुड़ रहे हैं।
शहरों में भीड़, जाम, बेरोजगारी और संसाधनों की कमी इसका साफ असर है।
ऐसे हादसे दोहराते रहेंगे।
अव्यवस्था बढ़ती रहेगी।
शासन-प्रशासन हमेशा सवालों के कटघरे में रहेगा लेकिन समाधान नहीं निकलेगा।
📌 भविष्य कितना खतरनाक हो सकता है?
हमें समझना होगा कि हर व्यवस्था की एक सीमा होती है।हम अगर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूक नहीं हुए तो आने वाला समय और ज्यादा डरावना हो सकता है:
हर त्योहार पर भगदड़ होगी।
स्कूल और अस्पतालों में जगह नहीं बचेगी।
बेरोजगारी, भुखमरी और अपराध तेजी से बढ़ेंगे।
भीड़ से व्यवस्था टूटती जाएगी और आम जनता को ही सबसे ज्यादा परेशानी होगी।
📢 "अब अगर हम नहीं जागे, तो हादसे हमारी पहचान बन जाएंगे।"
आशा है भविष्य सही करने के प्रयास सरकार और जनता दोनों ओर से होंगे!
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