महाराज श्री प्रेमानंद जी के विरोध में पाखंड

संत प्रेमानंद का विवादित बयान - आधुनिक रिश्तों में गिरते नैतिक मूल्य और चरित्र की चिंता"
संत प्रेमानंद जी महाराज 

गुरूदेव का तो कुछ नहीं बिगाड़ना है! आकाश में थूंकोगे तो गंदे खुद ही होंगे 

आईना तोड़ने से चेहरा नहीं बदलता

महाराज प्रेमानंद जी ने वो कहा जो कोई नहीं कहता।
उन्होंने समाज को एक आईना दिखाया, और अब उस आईने को तोड़ने की कोशिश हो रही है।
पर याद रखिए — आईना तोड़ने से चेहरा नहीं बदलता।


1. सच्चाई से वही तिलमिलाए जिनको महाराज जी का वक्तव्य गाली जैसा लगा

महाराज श्री प्रेमानंद जी ने हाल ही में युवाओं के नैतिक पतन पर जो वक्तव्य दिया, उससे वही लोग तिलमिलाए जिन्हें सच्चाई चुभ गई।
उन्होंने कहा कि आज के लड़के-लड़कियाँ पवित्र नहीं हैं, क्योंकि वे बहु-संबंधों में लिप्त हैं और सिर्फ देह के आकर्षण में उलझे हैं 👉 इसलिए घर टूट रहे हैं।

अब सोचिए — क्या उन्होंने कोई झूठ कहा?
क्या कोई सच्चा संत या महापुरुष ये कहेगा कि "बहु-संबंध ठीक हैं"?
नहीं! कभी नहीं।

चाहे कोई वेश्या हो, या कोई साधु — हर कोई जानता है कि ऐसा आचरण अधर्म है।

लेकिन जब कोई खुद कीचड़ में लथपथ होता है, तब वो कीचड़ को ही धर्म बताने की कोशिश करता है।
अब वही लोग जो खुद अपने आचरण से शर्मिंदा होने चाहिए, महाराज जी के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे।
क्यों?
क्योंकि सच्चाई ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया।

श्री प्रेमानंद जी महाराज 


2. पाखंड क्या है?

क्या पाखंड केवल वही है जो डर दिखाकर टोने-टोटके करता है?
क्या सिर्फ कालनेमियों को ही पाखंडी कहोगे?

नहीं।
जब कोई व्यक्ति सत्य को जानकर भी अपने अहंकार, गुनाह और मान्यता के कारण उसका विरोध करता है — वही असली पाखंडी है।

अगर कोई खुद अपने शरीर को अनेक लोगों के साथ साझा कर चुका है, तो उसे यह बात गाली जैसी लगेगी।
पर गलती का सामना करने की जगह, वह उल्टा विरोध करता है।

इसलिए आज जो लोग महाराज श्री प्रेमानंद जी का विरोध कर रहे हैं — वे सबसे बड़े पाखंडी हैं।


3. मल्टी रिलेशन से समाज बिखरता है

महाराज जी ने कहा — जब कोई इंसान सिर्फ अपनी यौन जरूरत पूरी करने के लिए किसी को चुनता है, तो वह उसे इंसान नहीं, सेक्स टॉय समझता है।
जैसे कोई ठेकेदार मज़दूर को सिर्फ मशीन समझे।

ऐसे में ना सम्मान होता है, ना समझ।
जब माता-पिता चरित्रहीन होंगे — तो बच्चे कैसे अच्छे होंगे?

अगर यही आधुनिकता है, तो फिर अनाथालय, वृद्धाश्रम और मानसिक संस्थाएं तेज़ी से भरने को तैयार रहें।

🔹 4. क्या यह बयान महिलाओं के खिलाफ था? 

नहीं! यह तो समाज के लिए था। 

कुछ लोग यह आरोप लगा रहे हैं कि महाराज प्रेमानंद जी ने सिर्फ महिलाओं को निशाना बनाया।
ये आरोप पूरी तरह निराधार और निंदनीय हैं।

महाराज जी ने अपने प्रवचन में लड़के और लड़कियों — दोनों की बात की।
उन्होंने कहा कि शायद 100 में से सिर्फ 4-5 लोग ही होंगे जो सच में शारीरिक रूप से पवित्र हैं।

अब सवाल यह है कि —
"तुम उन्हीं 4-5 लोगों में से हो क्या?"
अगर नहीं, तो फिर आरोप लगाने से पहले आत्ममंथन करो।

महाराज जी ने किसी एक वर्ग या लिंग को नहीं, पूरे समाज को आइना दिखाया है।
इसलिए जो लोग यह कह रहे हैं कि यह महिलाओं के विरोध में था, वे या तो गलतफ़हमी में हैं, या जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं।

ऐसे लोगों को ईश्वर सद्बुद्धि दे या एक नया जीवन दे — यही प्रार्थना की जा सकती है।


🔚 निष्कर्ष: सत्य को गाली कहना पाखंड है

सत्य बोलना अगर पाप है,
तो फिर हर संत, हर धर्मगुरु, हर धर्मग्रंथ पाखंडी हो जाएगा

लेकिन ऐसा नहीं है।

महाराज श्री प्रेमानंद जी ने जो कहा, वो समाज के लिए था — चेतावनी थी, गाली नहीं।
अब इस पर जो लोग तिलमिला रहे हैं, वो खुद सोचें कि तिलमिलाहट की वजह क्या है?

कितनी आसानी से लोग ग़लत के लिए भी लड लेते हैं, इनका मन कुछ न कहता ?

      🚩 सत्यमेव जयते 🙏

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