आनंद महिंद्रा का कहना है कि ये टैरिफ बदलाव भारतीय उद्यमियों के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है...

हमें किसी और देश को दोष देने की बजाय अपनी ताकत पर ध्यान देना चाहिए। यह समय भारत के लिए खुद को पहले से ज्यादा शानदार बनाने का है।

आनंद महिंद्रा दृष्टिकोण हमें सिखाता है कि हर मुश्किल में एक मौका छिपा होता है। आज जो टैरिफ की चुनौती सामने है, वह भारत के लिए एक नई शुरुआत का संकेत हो सकती है—अगर हम सही कदम उठाएं।

1991 में भी भारत कठिन समय से गुज़रा था, जब विदेशी मुद्रा का भंडार बेहद कम था और अर्थव्यवस्था संकट में थी। लेकिन बड़े आर्थिक सुधारों—जैसे अर्थव्यवस्था को खोलना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना—ने भारत को तेज़ी से तरक्की की राह पर ला खड़ा किया।
महिंद्रा का मानना है कि आज का टैरिफ विवाद भी वैसा ही एक मोड़ है, जो भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत बना सकता है।


 
अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के उपाय
Anand Mahindra 


अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के उपाय

महिंद्रा ने कुछ ऐसे कदम सुझाए हैं जो भारत को वैश्विक स्तर पर लाभ पहुंचा सकते हैं:

1. बिजनेस करना आसान बनाएं

भारत में बिजनेस शुरू करना और चलाना अभी भी कई प्रक्रियाओं से गुजरता है।

  • एक प्लेटफ़ॉर्म, जहां सारी परमिशन एक जगह मिल जाए।

  • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल।
    इससे विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया जा सकता है।

2. टूरिज्म को बढ़ावा दें

पर्यटन भारत के लिए न सिर्फ राजस्व का बड़ा स्रोत है, बल्कि लाखों नौकरियां भी पैदा कर सकता है।

  • वीजा प्रक्रिया को तेज़ और सरल बनाना।

  • पर्यटक स्थलों का विकास और सफाई।

  • सुरक्षित यात्रा मार्ग और आधुनिक सुविधाएं।

3. छोटे बिजनेस और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास

  • MSME सेक्टर को वित्तीय सहायता और आसान लोन।

  • सड़क, बिजली, पानी और डिजिटल नेटवर्क में भारी निवेश।

  • प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को और मज़बूत करना।

  • आयात पर कर नीति को संतुलित रखना, ताकि उत्पादन लागत कम हो।


भारतीय बिजनेसमैन के लिए सुनहरा अवसर

महिंद्रा का मानना है कि ये टैरिफ बदलाव भारतीय उद्यमियों के लिए एक बड़ा मौका है।

  • नए बाजारों में पहुंच: वैश्विक व्यापार में हो रहे बदलाव से भारतीय कंपनियां नए देशों में अपने प्रोडक्ट बेच सकती हैं।

  • स्वदेशी उत्पाद और नवाचार: यह समय अपने उत्पाद विकसित करने और नई खोजों को आगे बढ़ाने का है।

  • छोटे उद्यमों की ग्रोथ: सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर छोटे और मझोले उद्यम ग्लोबल मार्केट में छा सकते हैं।


निष्कर्ष

टैरिफ का यह दौर भारत के लिए किसी बाधा की तरह नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत हो सकता है।
अगर भारत ने सुधार, मेहनत और नई सोच के साथ आगे बढ़ने का निश्चय किया, तो वह न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में भी अपनी मजबूत पकड़ बना लेगा।

💬 आपका क्या मानना है? क्या यह टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हो सकता है? नीचे अपने विचार साझा करें।

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